Sunday, March 6, 2011

रमणी डोळे

रमणी डोळे रामलो रमने
त्यातच गमने त्यावर मरने

मीने पारी चंचल चक्षु
बंधन कजली दाट वक्षु

मध् बिम्बचा डोला बाणी
पराग प्रोक्षित तू मधुरानी

उडवित भोया नजर वाकडी
मिश्किल हसता काढीत खोडी

नयन किरने खुलवी चहरे
बघता नेत्री समुद्र गहिरे

लाट अन्धाली पुसून टाके महालरेती
नयन ओले ताकि स्वप्ने वाहून नेति

हे नेत्रसौन्धर्य बघता चन्द्र शर्मीला
तुज नेत्रवैभाव मानी जुरते उर्मिला
                                              अर्पित

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